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Hindi poem: ein chikhonse

इन चीखो से, लुटती बेटीओके
चुभती तेरी ये खामोशी है
तुमभी तो खुदा बन बैठे हो ना
कुछ राज धरम को निभा दो बस|1|

एक किसन का किस्सा सुनते थे
जो लाज बचाने आया था
सुना है तेरी नजर में लेकिन
मौतोके रंग अलग अलग है|2|

इन खामोश सिसकती आहो में
तुम जोदड़ो अपनी आह ‘यासीन’
इन्ही टपकती बूंदो से फिर,
कही कोई पत्थर पिघल जाएगा|3|

तुम पहले नही हो आझम
ये निव जीसकी हिल गयी हैं
बेआबरू हुई नारी ने
हर दौर मे तख्त पलटे है |4|

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Hindi poem : काफिर यार

कव्वाली होगायी किसी औरकी
मैं अपने साथ ये एक खयाल ले बैठा हूं
कानोमे घुले अमरीत फिरसे
कोई सुरोंसे ये रंग हटा दे|1|

मैं चाटता था उंगलीसे खीर
उसे शिरखुरमा केहने की जिद कर बैठा है कोई
ये कंकर चुभता बडा है
कोई जुबान का सुवाद लौटा दे|2|

तेरी कुरतेसे चूरया करते थे सिक्के
ये अमिरी बचपनकी हुआ करता थी “यासिन”
जेबे गिनके मिलने लगे है सिने ईदपर
कॊई ऊन सिने मे फिर दिल धडका दे|3|

तेरे आंगनमें भरती मेहफिल
मेरी कविता,तेरे शेरों की वॊ सिलसिले
अब मोदी-ओवेसी बकने लगे है हम
कोई अंखोसे ये किल निकाल दे|4|

मुझे केहने लगे है काफिर आजकल
ऊनही मुस्लीमो मे जान अटकी पडी है कहीं
सख्ती से नमाजी बन बैठा वहा
कोई उसमेसे मेरा यार लौटादे |5|