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Hindi poem: ein chikhonse

इन चीखो से, लुटती बेटीओके
चुभती तेरी ये खामोशी है
तुमभी तो खुदा बन बैठे हो ना
कुछ राज धरम को निभा दो बस|1|

एक किसन का किस्सा सुनते थे
जो लाज बचाने आया था
सुना है तेरी नजर में लेकिन
मौतोके रंग अलग अलग है|2|

इन खामोश सिसकती आहो में
तुम जोदड़ो अपनी आह ‘यासीन’
इन्ही टपकती बूंदो से फिर,
कही कोई पत्थर पिघल जाएगा|3|

तुम पहले नही हो आझम
ये निव जीसकी हिल गयी हैं
बेआबरू हुई नारी ने
हर दौर मे तख्त पलटे है |4|

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