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Hindi Poem : सुना है अब केदारनाथ बंद है

सुनो ऐ, सुना है अब केदारनाथ बंद है ? बारिश आई थी कुछ दिन पहले
या शायद झटक दिया मैय्यानेआँचल बाच्चेकी नादानी पर ॥१॥

बर्फ पिघली थी , इंसानियत जम गयी,पहाड़ बह निकले , लाशे ढेर बन पड़ी
बम बम बोला कण कण ,तो छोड़ चला भक्तो को ,सृष्टिसे मिलने शिव ॥२॥

ऐ सुनो, सूना अब केदारनाथ है , शायद नया धुढना पडेगा एक धाम
कहा मिलेगा वो शिवरूप हमको ,परम कल्याण हो जिसका काम ॥३॥

देहलीमैं है एक ज्योति , अमर ,जवान ,उनकी जो जन गण के लिए दे दिए प्राण
हां यही तो हैं शंकर ,यही भोले , ये शिव गंगाधर , चन्द्रमौलि , भुजन्ग्धारी साम्ब॥४॥

यही,वो जिनका क्रोध कल्याणकारी , यही धारण करे विष , त्रिपुरांतकारी
इसे बनाये धाम ,लगाये मेले , खेलें, हो केदारनाथ प्रसन्न, आश्वस्त मंदाकिनी||५||

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Sachin Tendulkar : देव सांडला सांडला

देव
सांडला सांडला ,देव सांडला सांडला

देवाघरचा उचलून आता बाजरी मांडला  ||1||

देवाचा पराक्रम भारी ,देव भक्तांचा प्यारा

नैवेद्या लाथी मारून का चरतोस चारा ? ||2||

देवा चे उंची थोर, मनगटी भारी जोर

भक्तांना दूर सोडून देव गळी लावी चोर ||3||

देव झाला का व्यवहारी, देवा तू का रे व्यापारी

सोडून ध्यानसाधना अगा झाला व्यभिचारी ! ||4||

देव भागतान पोसला , तेना जपणे तू शिक

नकोरे हे देवपण … असे कवडीमोल वीक ||5||

देवा देवपण आगळे, दैवात्वाचे रच सोहळे

वेळ आलीयासी भारी ,जप आपले सोवळे||6||