सुनो ऐ, सुना है अब केदारनाथ बंद है ? बारिश आई थी कुछ दिन पहले
या शायद झटक दिया मैय्यानेआँचल बाच्चेकी नादानी पर ॥१॥
बर्फ पिघली थी , इंसानियत जम गयी,पहाड़ बह निकले , लाशे ढेर बन पड़ी
बम बम बोला कण कण ,तो छोड़ चला भक्तो को ,सृष्टिसे मिलने शिव ॥२॥
ऐ सुनो, सूना अब केदारनाथ है , शायद नया धुढना पडेगा एक धाम
कहा मिलेगा वो शिवरूप हमको ,परम कल्याण हो जिसका काम ॥३॥
देहलीमैं है एक ज्योति , अमर ,जवान ,उनकी जो जन गण के लिए दे दिए प्राण
हां यही तो हैं शंकर ,यही भोले , ये शिव गंगाधर , चन्द्रमौलि , भुजन्ग्धारी साम्ब॥४॥
यही,वो जिनका क्रोध कल्याणकारी , यही धारण करे विष , त्रिपुरांतकारी
इसे बनाये धाम ,लगाये मेले , खेलें, हो केदारनाथ प्रसन्न, आश्वस्त मंदाकिनी||५||