इन चीखो से, लुटती बेटीओके
चुभती तेरी ये खामोशी है
तुमभी तो खुदा बन बैठे हो ना
कुछ राज धरम को निभा दो बस|1|
एक किसन का किस्सा सुनते थे
जो लाज बचाने आया था
सुना है तेरी नजर में लेकिन
मौतोके रंग अलग अलग है|2|
इन खामोश सिसकती आहो में
तुम जोदड़ो अपनी आह ‘यासीन’
इन्ही टपकती बूंदो से फिर,
कही कोई पत्थर पिघल जाएगा|3|
तुम पहले नही हो आझम
ये निव जीसकी हिल गयी हैं
बेआबरू हुई नारी ने
हर दौर मे तख्त पलटे है |4|